गुजरे दौर की महिला पत्रकारों ने क्रैक कर लिया था 'लंपटों' से निपटने का फॉर्मूला

1970 और 1980 के दशक में पत्रकारिता आज की मीडिया इंडस्ट्री के जैसी नहीं थी. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों की पहचान और इसे रोकने के लिए किसी तरह का दिशा-निर्देश नहीं था.

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