शायरों ने सामाजिक विडंबनाओं पर कसे तंज

जख्म तेरी यादों के हरे हो जाते हैं..इसलिए मेले में जाना छोड़ दिया... ये पंक्तियां कोटा के 125वें राष्ट्रीय दशहरे मेले के विजयश्री रंगमंच पर सोमवार की रात मुशायरा कार्यक्रम पढ़ी गईं. मुशायरे में देशभर से आए नामचीन शायरों ने मौजूदा हालात, बूढे मां-बाप को वृद्धा आश्रमों के हवाले छोड़ देने वाले पत्थर दिल बेटों पर अपने कलाम पढ़कर तंग कसा तो मजहब के नाम जरा- जरा सी बात पर लड़ने- झगड़ने वालों को गजल के जरिए एक- दूसरे पर मुहब्बत लुटाने की नसीहत दी. इस तरह शायरों ने शेरो- शायरी, गजलें व कलाम सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं.

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