गले में तुलसी के मोती वाली माला. माथे पर चंदन का टीका. मथुरा-वृंदावन में हुए तो धोती-कुर्ता नहीं तो कुर्ता-पायजामा में घूमते हैं. अब तो साथ में भगवान का नाम जपने के लिए हाथ में माला भी होती है. ये बात अलग है कि राधा रानी को ज्यादा याद करते हैं. सखा भी साथ में होते हैं. लेकिन जब रंगीली महल में होते हैं तो सिर पर मोर मुकुट भी पहन लेते हैं. हाथ में बंसुरी भी होती है. और खास हिदायत ये होती है कि जब तक हम रंगीली महल में हैं हमें कोई दूसरा आवाज़ न दे.
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