तिरंगे का चमत्कार, 108 दिन बाद बीमारी को मात दे लौटे हॉकी लीजेंड बलबीर सिंह, जज्बे को सलाम

मंजिलें भी जिद्दी हैं, रास्ते भी जिद्दी हैं। पर क्या करूं मैं, हौंसले भी तो मेरे जिद्दी हैं... हॉकी लीजेंड बलबीर सिंह सीनियर द्वारा अपनी 95वें जन्मदिवस पर लिखी गई यह पंक्ति उन पर सही चरितार्थ होती हैं।

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